Monday, February 1, 2016

modernization एक रूढ़िवादी भारत

               भारत के निवासियों का रहन सहन  सदियों पुरानी चली आ रही परम्परा से ही परिभाषित हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में नया संविधान बना। लागु हुआ। आपसी प्रेम व् भाईचारे का सन्देश दिया गया। परंतु क्या भारत में रूढ़िवादी परम्पराओ पर अंकुश लगाया गया ! क्या कभी हम शताब्दियों से चले आ रहे ढोंग ढकोसलों से बहार आ पायेगे। कब तक हम पारंपरिक गुलामी की जंजीरो में बंधे रहेंगे। 
 



              आधुनिकता की हमारे लिए क्या परिभाषा है ? क्या अच्छे कपडे पहनना, अच्छा मोबाइल घडी रखना व् अच्छी गाड़ी रखना ही आधुनिकता है। क्या कभी नैतिक मूल्यों को बढ़ाने का सोचा है। हम हमारी संस्कृति को किस गर्त में ले जा रहे हैं। केवल कोरी कल्पनाओ के बलबूते पर आज का युवा देश को आगे लाना चाहता है । परंतु क्या यह व्यवहारिक जीवन में संभव है ! 
भारत के किसी भी कोने की बात कर ली जाये तो आंकड़े इसकी खोखली कहानी बयां करते है । तमिलनाडु के एक कॉलेज छात्रा ने आत्महत्या कर ली। क्यों ? क्योंकि उसे कॉलेज में जीन्स पहनने से रोका गया। क्या यही  स्वतन्त्रता है भारत की। क्या यही समानता का अधिकार है। हरियाणा की खाप पंचायत के बारे में तो आपने सुना ही होगा। जैसा चाहा मनचाही सजा सुना डाली। क्या इनसे ही हम भारत में मानवाधिकारों को संरक्षित कर रहे है। भारत में ही 1  आईआईटी छात्र की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है। क्यों। कारण बताया जाता है की वो दलित है। और उसकी मौत के पश्चात् राजनितिक घराने उस पर सत्ता की रोटियां सेकते है। व् मीडिया अच्छी खासी टीआरपी बटोरता है। राजस्थान के आदिवासी बहुल उदयपुर कोटड़ा की बात कर ली जाये तो वहां भी अन्धविश्वास का बोलबाला है। धर्म के नाम पर नरबलि , पशुबलि तक दी जाती है। 
              देश में इन रूढ़िवादी परम्पराओं के नाम पर हमारे मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। आखिर कब तक सरकारें ऐसे विषयों पर मोन रहेंगी। अब जरुरत है, इन अदृश्य गुलामी की जंजीरो को तोड़ने की। अब जरुरत है एक विशाल जान आंदोलन की। अब जरुरत है समाज में जन  जागृति की। ऐसा नहीं है , की जन जागृति अभियानों की कमी है। बहुत से एनजीओ व् सामाजिक, धार्मिक संग़ठन इन कार्यो में लगे हुए है। आदिवासियों पर 1 फ़िल्म बनाकर एक संत ने भी जन जागृति अभियान को दिशा दी है। परंतु हमारी सरकारो को भी इस विषय में कठोर कदम उठाने होंगे। तभी एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो पायेगा।।



Modernization : Theories and Facts

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