Sunday, February 7, 2016

MSG 2 THE MESSENGER स्वच्छ समाज निर्माण की एक अनूठी पहल ...

समाज को दिशा दे रही एमएसजी दा मेसेंजर  फिल्म ...


               वर्तमान समय में जहाँ फिल्मी दुनिया का बोलबाला है , ऐसे में युवाओं को इनसे होने वाले दुष्परिणामों से बचाना बड़ी चुनौती है. फिल्म निर्माताओ द्वारा आमजन के हितार्थ फिल्में बनानी चाहिए, परंतु स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है. ऐसे में  2015 में एक ऐसी भी फिल्म है. जिसने सभी का दिल जीता है.समाज में फैली कुरीतियों का सभ्य समाज से उन्मूलन करने में एमएसजी दा मेसेंजर मील का पथ्थर साबित हुई है. जो संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का काम कर रही है. 

फिल्में समाज को एक आईना है. परंतु आजकल की फिल्मों में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. ज़्यादातर फिल्म निर्माताओं का फिल्म बनाने का एक ही उद्देश्य होता है.. पैसा कमाना. समाज की इसी परंपरागत प्रथा को तोड़कर फिल्म जगत के मायने बदलने उतरा एक संत. जिनको आज पूरा भारत ही नही संम्पुर्ण विश्व जानता है. संत गुरमीत राम रहीम  सिंह जी इन्सा. इन्होने पैसा कमाने मात्र का उद्देश्य लेकर नही अपितु ज्न क्ल्याणकारी कार्यों को मुखर रखकर फ़िल्मे बनाई है. जहा तक बात की जाए इनकी पहली फिल्म की,  एमएसजी दा मेसेंजर 1 ने 165 करोड़ से भी ज़्यादा का कारोबार किया था. वहीं  एमएसजी2 दा मेसेंजर 480 करोड़ का आँकड़ा पार कर कई दिग्गजों के पसीने छुड़वा चुकी है. परंतु फिल्म बनाने के उद्देश्य बिल्कुल अलग है.
                 गुरुजी ने पहली फिल्म की अपनी कमाई को एड्स व थैलीसीमिया पीड़ितो के कल्याण मे लगा दिया. व दूसरी फिल्म की कमाई को स्किन बेंक बनाने में लगाने का एलान किया है. 

                अगर फिल्म की बात की जाए तो  एमएसजी 2 दा मेसेंजर फिल्म अन्य फिल्मों से काफ़ी हटकर है. आमतौर में फिल्मों में अश्लीलता परोसी जाती है. जबकि ये फिल्म परंपरागत तौर तरीकों से जरा हटकर है. इस फिल्म में गुरुजी नें आदिवासियों को किस प्रकार से सभ्य बना दिया, इसका सुंदर चित्रण किया है. साथ ही समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ भी खुलकर आवाज़ उठाई है.फिल्म में नशा, कन्या भ्रूण हत्या, अंधविश्वास, रूढ़िवादी धारणाओं का पुरजोर विरोध किया गया है. 

            समाज के बदलते मूल्यों पर आज कोई पीड़ा व्यक्त करने वाला नही है. ऐसे में अश्लीलता की बेदी पर भभक्ते बॉलीवुड को एमएसजी फिल्म बनाकर गुरुजी नें एक नयी दिशा दी है.

                                                       मोजूदा दौर फिल्मों में फूहड़ता का दौर है. ऐसे में आमजन की माँग है की पारिवारिक फिल्में बने, ओर परिवारिक फिल्मों की कसौटी पर एमएसजी 2 दी मसेंजर फिल्म पूरी तरह खरी उतर रही है.

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