Sunday, April 24, 2016

Saint Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Awarded With Most Popular Actor, Director and Writer in Dada Saheb Falke award.

फ़िल्मी दुनिया में एक अजब का चमत्कार सामने आया है। मात्र दो फिल्मो से ही चर्चा में आये डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी को दादा साहेब फाल्के पुरुस्कार से नवाज गया है। गुरूजी को मोस्ट पॉपुलर एक्टर, डायरेक्टर व् राइटर की श्रेणी में ये अवार्ड दिया गया है। गुरूजी ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने गुरु, शाह सतनाम सिंह जी , व् MSG फेन्स को दिया है।

विदित रहे की कुछ दिन पूर्व ही गुरूजी को हिन्दू महासभा ने हिन्दू रत्न से नवाजा है। व् गिनीज यूनिवर्सटी ने डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की है। गिनीज यूनिवर्सटी ने गुरूजी को मल्टी टेलेंटेड आल राउंडर पर्सनल्टी से नवाजा है। साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें की गुरूजी के नाम 50 से भी ज्यादा विश्व रिकॉर्ड है।

यह अपने आप में पहला मौका है की बॉलीवुड में किसी ने इतने कम समय में इतनी सफलताएं एक साथ प्राप्त की हैं। अब देखना ये होगा , की भारत रत्न व् नोबल पुरुस्कार इस महान हस्ती से कब तक बच पाएंगे।

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Sunday, February 7, 2016

MSG 2 THE MESSENGER स्वच्छ समाज निर्माण की एक अनूठी पहल ...

समाज को दिशा दे रही एमएसजी दा मेसेंजर  फिल्म ...


               वर्तमान समय में जहाँ फिल्मी दुनिया का बोलबाला है , ऐसे में युवाओं को इनसे होने वाले दुष्परिणामों से बचाना बड़ी चुनौती है. फिल्म निर्माताओ द्वारा आमजन के हितार्थ फिल्में बनानी चाहिए, परंतु स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है. ऐसे में  2015 में एक ऐसी भी फिल्म है. जिसने सभी का दिल जीता है.समाज में फैली कुरीतियों का सभ्य समाज से उन्मूलन करने में एमएसजी दा मेसेंजर मील का पथ्थर साबित हुई है. जो संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का काम कर रही है. 

फिल्में समाज को एक आईना है. परंतु आजकल की फिल्मों में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. ज़्यादातर फिल्म निर्माताओं का फिल्म बनाने का एक ही उद्देश्य होता है.. पैसा कमाना. समाज की इसी परंपरागत प्रथा को तोड़कर फिल्म जगत के मायने बदलने उतरा एक संत. जिनको आज पूरा भारत ही नही संम्पुर्ण विश्व जानता है. संत गुरमीत राम रहीम  सिंह जी इन्सा. इन्होने पैसा कमाने मात्र का उद्देश्य लेकर नही अपितु ज्न क्ल्याणकारी कार्यों को मुखर रखकर फ़िल्मे बनाई है. जहा तक बात की जाए इनकी पहली फिल्म की,  एमएसजी दा मेसेंजर 1 ने 165 करोड़ से भी ज़्यादा का कारोबार किया था. वहीं  एमएसजी2 दा मेसेंजर 480 करोड़ का आँकड़ा पार कर कई दिग्गजों के पसीने छुड़वा चुकी है. परंतु फिल्म बनाने के उद्देश्य बिल्कुल अलग है.
                 गुरुजी ने पहली फिल्म की अपनी कमाई को एड्स व थैलीसीमिया पीड़ितो के कल्याण मे लगा दिया. व दूसरी फिल्म की कमाई को स्किन बेंक बनाने में लगाने का एलान किया है. 

                अगर फिल्म की बात की जाए तो  एमएसजी 2 दा मेसेंजर फिल्म अन्य फिल्मों से काफ़ी हटकर है. आमतौर में फिल्मों में अश्लीलता परोसी जाती है. जबकि ये फिल्म परंपरागत तौर तरीकों से जरा हटकर है. इस फिल्म में गुरुजी नें आदिवासियों को किस प्रकार से सभ्य बना दिया, इसका सुंदर चित्रण किया है. साथ ही समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ भी खुलकर आवाज़ उठाई है.फिल्म में नशा, कन्या भ्रूण हत्या, अंधविश्वास, रूढ़िवादी धारणाओं का पुरजोर विरोध किया गया है. 

            समाज के बदलते मूल्यों पर आज कोई पीड़ा व्यक्त करने वाला नही है. ऐसे में अश्लीलता की बेदी पर भभक्ते बॉलीवुड को एमएसजी फिल्म बनाकर गुरुजी नें एक नयी दिशा दी है.

                                                       मोजूदा दौर फिल्मों में फूहड़ता का दौर है. ऐसे में आमजन की माँग है की पारिवारिक फिल्में बने, ओर परिवारिक फिल्मों की कसौटी पर एमएसजी 2 दी मसेंजर फिल्म पूरी तरह खरी उतर रही है.
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Tuesday, February 2, 2016

अरविन्द केजरीवाल : फर्श से अर्श तक ..


अरविन्द केजरीवाल : फर्श से अर्श तक ..

संक्षिप्त परिचय : 

1989 में आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएट हुए। 

 1992 में आईएएस सेवा में आये। 
‌1994 में विवाह हुआ।
‌सुचना का अधिकार कानून पास करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‌15 वर्ष से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया।


              
 हिसार के हरियाणा में 16 अगस्त 1968 को एक साधारण परिवार में जन्मा एक बालक, एक दिन दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जायेगा। ऐसी तो किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। केजरीवाल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में बैठे व् पहली बार में ही चुन लिए गए।
राजनीती में 1 विकल्प बनकर उभरे केजरीवाल नें आम आदमी पार्टी को सत्ता में लेकर राजनीतिक गलियारों में सनसनी पैदा कर दी। पार्टी की 67 सीटों वाली इस शानदार जीत से उस व्यंग्य का प्रतिशोध ले लिया जो पूर्व में उन्हें कमजोर बताकर परोसा गया था। एक 45 वर्षीय नेता नें गैर परम्परागत तरीकों से और राजनितिक खलबली मचा दी। अपने एजेंडे में आम आदमी के हितों को सर्वोपरि रखते हुए केजरीवाल नें पूर्व में 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकी शीला दीक्षित को हरा दिया। 
                           इनके चहरे से झलकती आम आदमी की छवि  को देखकर यह अंदाज लगाना मुश्किल था की साधारण से हावभाव व् विनम्र वाणी के बल पर ये आम आदमी दिल्ली की सियासत का चेहरा बदलने का मादा रखता है। एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना लिए अपनी मुहीम शुरू करने वाले आईआईटी छात्र नें कब अपनी मुहीम को जन आन्दोलन , इसकी राजनितिक हस्तियों को भनक तक भी नहीं लगी। 
‌                            जिस  सामाजिक कार्यकर्ता कहे जाने वाले  केजरीवाल को राजनीति का नया खिलाडी समझकर हाशिये पर रखा गया, उसी आम आदमी नें मात्र 1 साल में दशकों से स्थापित राजनितिक तंत्र को खुली चुनौती दे डाली।  इस आम आदमी ने राजनीती के मायने ही बदलकर रख दिए। व् राजनीति के नए मापदंड स्थापित कर डाले। 


                     केजरीवाल को ये सफलता यूँ ही नहीं मिल गई। इसके पीछे छिपी है उनकी वर्षो की मेहनत, साफ़ नियत, आम जन से प्यार, ईमानदारी , व् समाजसेवा का जज्बा। जो उन्हें इस मुकाम तक लेकर गया है।। दिल्ली की जनता को केजरीवाल जी से बहुत उम्मींदे हैं। और हमें भी आशा है, की वो जनता की उमींदो पर अवश्य खरे उतरेगे। यदि इरादे फौलादी हों, व् हौंसलो में उड़ान हो, तो ऐसी कोई मंजिल नहीं है, जिसे पाया न जा सकता हो। इसी सिद्धान्त को सर्वोपरि रखकर अरविन्द केजरीवाल ने लोक कल्याण कारी कार्यो में भागीदारी बढ़ाते हुए आयकर विभाग से भ्रष्टाचार को हटाने की मुहीम से 1 जन आंदोलन तक जारी रखा। और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग आज भी जारी है।


Best Politicion Arvind Kejriwal
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Social Media सोशल मीडिया व हमारा युवा : एक कटाक्ष

           
 समाज में जागरूकता व् अभिव्यक्ति की सवतंत्रता का श्रेय निःसंदेह ही सोशल मीडिया को जाता है। आज एक मध्यम वर्गीय युवा, जिसके पास दाल रोटी खाने को है, उस व्यक्ति का बैंक अकाउंट हो न हो, किसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर अकाउंट होना आम बात है। सोशल मीडिया की बादशाहत आज पुरे विश्व में है। हर वर्ग इससे जुड़ा हुआ है। विश्व में कुल 2.2 अरब इंटरनेट यूजर है। जिनमे से 100 करोड़ से भी अधिक फेसबुक यूजर हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सोशल मिडिया का प्रयोग लोगों की राय जानने में भी करने लगा है। सामाजिक पटल पर  अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का भी एक माध्यम सोशल मीडिया है।  सोशल नेट्वर्किंग वर्तमान में एक स्टेटस सिम्बल भी बन गया है। जिसकी अच्छाइयाँ भी है।। व् बुराइयां भी। 
 ‌      सोशल मीडिया के द्वारा युवाओ को पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करना आधुनिकता का मापदंड बन गया है। इसका प्रभाव हमारे देश की युवा पीढ़ी पर देखा जा सकता है। जिनमे रहन सहन, खान पान व् वेशभुषा सभी शामिल है। धूम्रपम, मदिरापान आदि उन्हें फैशन का ढंग लगने लगा है। आपसी रिश्तों में दरारे आने लगी है। व् पारिवारिक प्रेम प्यार समाप्त होता जा रहा है। 


 ‌         आज का यक्ष प्रश्न यही है की युवा पीढ़ी का सदुपयोग कैसे करें। इसका जवाब भी सोशल मीडिया ही है। सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रयोग करके युवाओं को उचित मार्गदर्शन दिया जा सकता है।  अभिव्यक्ति के लिए सोशल नेटवर्किंग एक उचित माध्यम बन गया है। 

          सोशल मीडिया वह माध्यम  है, जहाँ व्यक्ति खुद को वैसा परिलक्षित करना चाहता है,  जैसा वह हो या न हो लेकिन होना जरूर चाहता है| युवा  तीन सौ प्रोफाइल पिक्चर में से  किसी एक बेहतरीन फ़ोटो को अपने व्यक्तित्व के असल आईने के तौर पर सोशल साईट पर  डालना चाहता है  और उस पर  आये  तरह तरह के कमेंट्स को अपनी मनोवैज्ञानिक इच्छाशक्ति  बढाने का स्त्रोत मात्र बना लेता है| लगातार दूसरों के  सामने अपनी झूठी छवि बनाते बनाते ज्यादातर युवा खुद भी इसकी गिरफ्त में आ जाता है| लड़के-लड़कियाँ  आजकल बॉय-फ्रेंड-गर्ल फ्रेंड का खेल यहीं खेलते हैं| अब तो ये साइट्स मैरिज काउंसलिंग  का काम भी कर रहे हैं| इसके बहुत उदाहरण आपको इंटरनेट पर मिल जायेगे।  फेक आई-डी के द्वारा लोगों के सामने व्यक्ति अपनी वह छवि प्रस्तुत करते हैं, जो वे होते ही नहीं हैं| जब सच का खुलासा होता है तो उसका परिणाम सिर्फ सम्बन्धों में खटास, अवसाद, दुःख ही नहीं होता, अपितु कई बार ऐसे परिणाम आते है जो असहनीय होते है। जो ताउम्र पीड़ा देते है। | विगत वर्षों में सोशल नेटवर्किंग  साइट्स पर बने रिश्तों के टूटने के परिणाम्सवरूप में की जाने वाली आत्महत्याओं की संख्या में हुई बढोत्तरी भी किसी से छुपी हुई नहीं है|युवाओं में पोर्न साइट्स की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है और फैशन की अंधी दौड़ में उन पर भरोसा भी बढ़ा है।

                           यह चर्चा तो अभी समाप्त होने के बिंदु पर पहुँच ही नहीं सकती  इसलिये  सिर्फ इतना कहना ही उचित होगा कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स  एक ऐसा जिन्न है, जिस का  नियंत्रण यदि आपने अपने दिमाग से किया तो यह आपके व्यक्तित्व और सामाजिक रुतबे के साथ  साथ आर्थिक जमीन को भी नए आयाम दे सकता है लेकिन यदि यह जिन्न आपके दिमाग पर हावी हो जाता है, तो इसकी विनाशलीला व्यक्ति  विशेष से आरम्भ होकर समाज पर भी आकर  समाप्त ही हो, इसकी कोई गारंटी नहीं है|



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Monday, February 1, 2016

modernization एक रूढ़िवादी भारत

               भारत के निवासियों का रहन सहन  सदियों पुरानी चली आ रही परम्परा से ही परिभाषित हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में नया संविधान बना। लागु हुआ। आपसी प्रेम व् भाईचारे का सन्देश दिया गया। परंतु क्या भारत में रूढ़िवादी परम्पराओ पर अंकुश लगाया गया ! क्या कभी हम शताब्दियों से चले आ रहे ढोंग ढकोसलों से बहार आ पायेगे। कब तक हम पारंपरिक गुलामी की जंजीरो में बंधे रहेंगे। 
 



              आधुनिकता की हमारे लिए क्या परिभाषा है ? क्या अच्छे कपडे पहनना, अच्छा मोबाइल घडी रखना व् अच्छी गाड़ी रखना ही आधुनिकता है। क्या कभी नैतिक मूल्यों को बढ़ाने का सोचा है। हम हमारी संस्कृति को किस गर्त में ले जा रहे हैं। केवल कोरी कल्पनाओ के बलबूते पर आज का युवा देश को आगे लाना चाहता है । परंतु क्या यह व्यवहारिक जीवन में संभव है ! 
भारत के किसी भी कोने की बात कर ली जाये तो आंकड़े इसकी खोखली कहानी बयां करते है । तमिलनाडु के एक कॉलेज छात्रा ने आत्महत्या कर ली। क्यों ? क्योंकि उसे कॉलेज में जीन्स पहनने से रोका गया। क्या यही  स्वतन्त्रता है भारत की। क्या यही समानता का अधिकार है। हरियाणा की खाप पंचायत के बारे में तो आपने सुना ही होगा। जैसा चाहा मनचाही सजा सुना डाली। क्या इनसे ही हम भारत में मानवाधिकारों को संरक्षित कर रहे है। भारत में ही 1  आईआईटी छात्र की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है। क्यों। कारण बताया जाता है की वो दलित है। और उसकी मौत के पश्चात् राजनितिक घराने उस पर सत्ता की रोटियां सेकते है। व् मीडिया अच्छी खासी टीआरपी बटोरता है। राजस्थान के आदिवासी बहुल उदयपुर कोटड़ा की बात कर ली जाये तो वहां भी अन्धविश्वास का बोलबाला है। धर्म के नाम पर नरबलि , पशुबलि तक दी जाती है। 
              देश में इन रूढ़िवादी परम्पराओं के नाम पर हमारे मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। आखिर कब तक सरकारें ऐसे विषयों पर मोन रहेंगी। अब जरुरत है, इन अदृश्य गुलामी की जंजीरो को तोड़ने की। अब जरुरत है एक विशाल जान आंदोलन की। अब जरुरत है समाज में जन  जागृति की। ऐसा नहीं है , की जन जागृति अभियानों की कमी है। बहुत से एनजीओ व् सामाजिक, धार्मिक संग़ठन इन कार्यो में लगे हुए है। आदिवासियों पर 1 फ़िल्म बनाकर एक संत ने भी जन जागृति अभियान को दिशा दी है। परंतु हमारी सरकारो को भी इस विषय में कठोर कदम उठाने होंगे। तभी एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो पायेगा।।



Modernization : Theories and Facts

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Sunday, January 31, 2016

एमएसजी प्रॉडक्ट लॉन्चिंग : ऑर्गेनिक बनाम ब्रांडिंग

               वर्तमान युग ब्रांडिंग का युग है। ब्रांडिंग के नाम पर मल्टीनेशनल कंपनियों नें व्यापक गोरखधन्दा खड़ा कर लिया है। परंतु गुणवत्ता ? क्या हमने कभी सोचा की उन उत्पादों की गुणवत्ता क्या है ! टीवी, रेडियो, इंटरनेट आदि माध्यम से विज्ञापन देखने मात्र से उत्पाद खरीदना कहाँ तक जायज है ? नित्य नए उत्पाद बाजार में आते है। ब्रांडिंग से बिकते है। और मोटी आय अर्जित कर हमारे रोज़मर्रा में शामिल हो जाते है। कॉस्मेटिक उत्पाद हो या खाद्य पदार्थ, गृह सज्जा हो या फैशन के नाम पर पनपती पश्चिमी सभ्यता। परंतु कभी यह सोचा है की भारतीय संस्कृति किस गर्त की और जा रही है।
                विश्व की औसत अधिकतम आयु की बात की जाये तो यह आंकड़ा 71 वर्ष है। परंतु जापान ( 84 वर्ष ) पहले पायदान पर है। ऑस्ट्रेलिया दूसरे व् कनाडा तीसरे स्थान पर है। आपका यही प्रश्न होगा न, भारत ! भारत 66 साल अधिकतम औसत आयु के साथ  139 वे स्थान पर है। जरा सोचिये , विश्वगुरु कहे जाने वाला भारत आज कहाँ है। कारण क्या हैं ? इस पर अगर गौर किया जाये तो हमारे पास जो तथ्य सामने आये, वो चौकाने वाले हैं। हमारा खानपान जहरीला होता जा रहा है। पुरातन समय में घर की हरी सब्जियां व् दालें खाने को मिलती थी। परंतु उसका स्थान अब मल्टीनेशनल कंपनियों के पैक्ड खाद्य उत्पादों नें ले लिया है। और सब्जियां, दालें अगर मिलती हैं, तो उनमे पेस्टिसाइड का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है, की भारत की औसत अधिकतम आयु मात्र 66 वर्ष रह गई है। तरह तरह के रोगों ने शरीर में घर कर लिया है। 
               क्या भारत में विकल्प की कमी है ? नहीं। ऐसा नहीं है। कुछ विकल्प है। जिन्होंने मल्टीनेशनल कम्पनियो की लूट को बंद करवाने व् भारत की आवाम को स्वस्थ आहार उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया है। 







बाबा रामदेव द्वारा लॉन्च किया गया पतंजलि, व् संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी द्वारा लॉन्च किया गया एमएसजी प्रोडक्ट्स इसके ज्वलंत उदाहरण है।




          


        आयुर्वेदिक नुस्खों से तैयार पतंजलि उत्पादों ने जहां पुरे भारत में ख्याति पाई है। वहीँ मानवता भलाई में दशको से लगी संस्था डेरा सच्चा सौदा के गुरु राम रहीम जी के मार्गदर्शन में तैयार एमएसजी प्रोडक्ट्स भारत के बाजार में अपना स्थान बना रहे है। 

             

  शुद्धता की पूर्ण गारंटी व् ऑर्गेनिक रूप से बने इन उत्पादों की मांग आज पुरे भारत में है। जगह जगह प्रोडक्ट्स के आउटलेट खुले हैं। दिलचस्प बात ये है, की इन ऑर्गेनिक उत्पादों के विज्ञापन भी आजकल टीवी चैनलों पर देखे जा रहे है। व् एमएसजी ब्रांड के ब्रांड एम्बेसडर गुरु राम रहीम जी स्वयं हैं। इसकी औपचारिक घोषणा गुरूजी स्वयं ट्विटर पर ट्वीट करके कर चुके है।


               आमतौर पर मध्यम वर्गीय परिवारों की यह मानसिकता रहती है की सस्ता सुन्दर टिकाऊ उत्पाद खरीद जाये। परंतु समय की मांग है की स्वास्थ्य को चोटी पर रखकर क्वालिटी प्रोडक्ट का उपयोग सुनिश्चित किया जाये। एमएसजी प्रोडक्ट्स शुद्धता की कसौटी पर शत प्रतिशत खरा उतर रहा है। और वर्तमान में एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है। सुई से जहाज तक , यानि आम जान के उपयोगी सभी उत्पाद एमएसजी आल ट्रेडिंग कंपनी बना रही है।

                हमारी टीम ने जब यह सर्वेक्षण किया की एमएसजी प्रोडक्ट किस हद तक आमजन के लिए उपयोगी है, तो यह तथ्य सामने आये की ये उत्पाद भारत में वर्तमान में सर्वोत्तम विकल्प है। यदि  अन्य उत्पाद प्रयोग कर रहे हो, तो इसे भी आजमाकर देख लेना ही उचित होगा।









ट्विटर के माध्यम से एमएसजी प्रोडक्ट्स की औपचारिक लॉन्चिंग करते हुए गुरु राम रहीम जी। 






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Saturday, January 30, 2016

मानवता का केंद्र : डेरा सच्चा सौदा - Dera Sacha Sauda

               दुनिया में बहुत सी ऐसी संस्थाये है, जो जन कल्याणकारी कार्यो में लगी हुई है। जिन्हें देखकर लगता है की मानवता आज भी समाज में जिन्दा है। सैकड़ो हजारो ऐसे साधू संत है, जो मानवता की मशाल लिए अपने पथ पर अग्रसर है। जहां तक बात करें व्यापार जगत की, विश्व के जाने माने उद्यमी समाजसेवा में अपना योगदान दे रहे है। भारत हो या अमेरिका, चीन हो या कनाडा, सभी राष्ट्रों में मानवता की झलक दिखाई देती है। परंतु इसी मानवता की मशाल को दिशा दे रहा है हरियाणा स्थित डेरा सच्चा सौदा। संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की छत्रछाया व् मार्गदर्शन में पनपा एक बीज आज एक वटवृक्ष का रूप ले चुका है। मानवता भलाई के 117  कार्य करने वाली एकमात्र संस्था है डेरा सच्चा सौदा। 
               बहुप्रतिष्ठित स्वच्छ भारत अभियान की प्रेरणा गुरु राम रहीम जी ही है। 21 सितम्बर 2012 से शुरू हुआ डेरा सच्चा सौदा का सफाई अभियान कार्यक्रम देश की राजधानी सहित कई महानगरों में संपन्न हो चुका है। धार्मिक केंद्र हरिद्वार व् पवित्र नदी मां गंगा भी इसके जीते जागते उदाहरण है। जिनकी स्वछता की गाथा आज भी नगर प्रशासन गाता है। यही सफाई अभियान कालान्तर में स्वच्छ भारत नाम से उभरा। व् पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है।


                कन्या भ्रूण हत्या रोकने की मुहीम चलाकर गुरुजी ने समाज को एक नयी दिशा दी है। इसका मुख्य उदाहरण है हरियाणा के सिरसा स्थित शाही बेटियां बसेरा। जिसका निर्माण गुरु राम रहीम जी ने करवाया है। इसमें ऐसी अनाथ बेसहारा बच्चियों को रखा जाता है। जिनके माता पिता नहीं है। या जिनको कचरे के ढेर से उठाया गया। ऐसी बच्चियों को गुरूजी ने स्वयंम पिता का नाम देकर नवाज है। पूर्व में हरियाणा का जो ग्राफ 1000 पुरुषो पर 700 या 800 महिलायें था। वो अब 900 का आंकड़ा पार कर गया है। हरियाणा का सिरसा जिला, गुरु राम रहीम जी की कर्मभूमि है। और यहां ये आंकड़ा 1000 पुरुषों पर 999 महिलाये हो चुका है। इसी मुहीम से प्रभावित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नें " बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ " अभियान का खाका तैयार किया, व् सर्वप्रथम हरियाणा में लागू किया है। 
               सामाजिक कार्यो की बात करें तो डेरा के कार्यों की सूची बहुत बड़ी है। गुरू राम रहीम जी ने वेश्याओ को अपनी बेटी बनाकर उनकी शादियां करवाई। समाज में नीचे दर्जे का समझे जाने वाले किन्नरो को मुख्य धारा में लाने का सफल प्रयास भी गुरूजी व् उनके अनुयायियों नें किया है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णयोपरान्त किन्नरो को तीसरे लिंग के रूप में पहचान मिली है। व् गुरूजी ने इन्हें एक सम्मानित नाम 'सुखदुआ समाज' से नवाजा है। 
               रक्तदान के क्षेत्र में भी गुरूजी का कोई सानी नहीं है। अब तक 3 गिनीज विश्व रिकॉर्ड डेरा अपने नाम कर चुका है। इनके अनुयायी हर समय रक्तदान को तैयार रहते है। जहां जहां भी प्राकृतिक आपदा आई, वहां वहां राम रहीम जी की फौज, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फ़ोर्स के जाबाज पहुँच जाते है। और जुट जाते है, राहत बरसाने। हाल ही में गुरु राम रहीम जी का नेपाल में राहत अभियान इसका ज्वलंत उदाहरण है। इनके अनुयायी कुछ ही घंटो में गरीबो को पूरा मकान बनाकर दे देते है। हजारो लोग जीते जी गुर्दा दान का प्रण लिए बैठे है। व् लाखो लोग मरणोपरांत आँखे दान व् शरीरदान का प्रण लिए हुए है। 
                इस सम्बन्ध में कुछ बाते भी उठती है की डेरा में ट्रेनिंग दी जाती है। परंतु जब हमारी टीम ने वहां का भ्रमण किया। तो सभी दावे झूठे साबित हुए व्  केवल एक ही बात निकलकर सामने आयी, की डेरा सच्चा सौदा मानवता का सबसे बड़ा केंद्र है, जहां सिर्फ इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है। गुरु राम रहीम जी एक महान समाजसेवक है, जो समूची मानव जाति के उत्थान के लिए तत्परता से लगे हुए है। भारत ही नहीं विदेशो से भी श्रद्धालु मानवता का पाठ पढ़ने डेरा आते है। और विदेशी सरकारो ने गुरूजी को कई अवार्ड देकर नवाजा है। ऐसे महान समाजसेवक को हमारी टीम नमन करती है।
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